गाफिल स्वामी के दोहे
सच की महिमा है बड़ी, सच जीवन की शान।चले सत्य की राह जो, बनता वही महान।।
माया मद में मन रमा, भूला हरि का नाम।
आन पड़ा जब दु:ख तो, रटे राम औ श्याम।।
सच जीवन का सार है, सच जीवन आधार।
बिना सत्य के जिन्दगी, हो जाती बेकार।।
जिस जीवन में सत्य की, फल-फूलेगी बेल।
सीधे जायेगी सुरग, उसकी जीवन रेल।।
माना झूठे आजकल, दुनिया में भरपूर।
आखिर वो भी सत्य को, मानें हो मजबूर।।
जीवन में सुख चाहिए, कर सच का व्यवहार।
सच के ऊपर आज भी, टिका हुआ संसार।।
भूल गए सब सत्य को, याद रह गया झूठ।
इसीलिए भगवान भी, गया मनुज से रूठ।।
अरथी के संग जो गया, करता रहा विचार।
सच जीवन का सार है, बाकी सब बेकार।।
जले चिता सब बैठकर, करते सच की बात।
गाफिल मरकर आदमी, क्या ले जाता साथ।।
सच की महिमा जानिये, छोड़ो सब जंजाल।
वरना इस दिन आपको, खा जायेगा काल।।
करनी-भरनी सब यहाँ, गाफिल ले तू जान।
जी ले सच की जिन्दगी, हो जाये कल्याण।।
करो भलाई तुम सदा, नहीं बुराई ठीक।
जीओ सच की जिन्दगी, गाफिल की ये सीख।।
छोड़ो खोटे काम सब, चलो सत्य की राह।
सच्चे सुख औ नेह की, पूरी होगी चाह।।
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